किसी का बच्चा प्रेम प्यार में कच्ची उम्र में ही पड़ जाता है तो माँ बाप को कितनी वेदना होती है। बच्चे को तो कुछ पता नहीं है। माँ इस बात से हैरान है कि जो मेरा बेटा कभी मेरे बिना सोता नहीं था आज अपने से बड़े बड़े फैसले लेने लगा है। पिता सोचते हैं कि कहाँ भूल गलती हो गई जो आज मेरे प्यार को भूल गया।
फिर बच्चे को माँ बाप समझाने का प्रयत्न तो करते हैं परन्तु आप ही समझ जाते हैं कि तार तो गहरे जुड़े हैं। पीछा छुड़ाना मुश्किल है। फिर जाते हैं किसी पंडित मौलवी या तांत्रिक के पास कि कोई उपाय हो सके।
कितना नादान है इंसान। फिर उसी के पास चला जाता है जहाँ से मुश्किल शुरू हुई थी। बेटे का मामला है कहीं भी जाना पड़े वह जाएगा। अंततोगत्वा पता चलता है कि यहाँ तो संजोग जुड़े हैं अब शादी करनी पड़ेगी।
माता पिता अपने मन की असुरक्षा की भावना को छुपाते छुपाते समझौता कर लेते हैं और फिर वो हो जाता है जिसके होने की संभावना शुरू से थी।
बात ये नहीं है कि प्रेम प्यार गलत है। माता पिता से पूछ कर प्रेम तो नहीं किया जा सकता फिर भी कहीं न कहीं बच्चे को संस्कार दिए जाएँ तो इस तरह की घटनाएं जन्म नहीं लेती।
यहाँ मोहिनी मातंगी का कार्य शुरू होता है। आप अपने बच्चे को शुरू से ये प्रेरणा दें कि इस देवी की शरण में रहना है। यही एक ऐसी देवी हैं जो बच्चा हो या बूढ़ा, बलवान हो या निर्बल, अमीर हो या गरीब, छोटा हो या बड़ा सब पर कार्य करती हैं। मोहिनी मंत्र की दीक्षा प्राप्त करने के बाद आपके बच्चे को बस दिन भर में एक ही समय देवी को याद करना है। बाकी का काम देवी का है। असल बात ये है कि सारी व्यवस्था गुरु को ही करनी होती है।
दीक्षा के लिए इस ईमेल पर संपर्क करना होगा। आपसे आपकी पात्रता पूछने के उपरान्त दीक्षा की व्यवस्था की जाएगी।